"हम
लोग बचपन में एक खेल खेला करते थे जिसे हमारे यहाँ ढइयाँ फोड़ कहते हैं ।
इसमे दो टीमें होती हैं दोनों टीमों को एक एक करके छोटी छोटी गिट्टियों से
बनी मीनार को गेंद से मारके गिराना और फिर बनाना होता है । इस दोरान विरोधी
टीम मीनार दोबारा बनाने से रोकने के लिए दूसरी टीम के लड़कों को गेंद से
मारती है । यदि लड़का मीनार बना दे तो वही टीम फिर मौका पाती है और दिये गए
समय में न बना पाये तो दूसरी टीम को खेलने का मौका मिलता है । यही क्रम बार
बार चलता रहता है जब तक लड़के थक न जाएँ । मगर खूबी ये है की दोनों टीमों
को ढइयाँ फोड़ने और बनाने का बराबर मौका मिलता है। मगर देश की राजनीतिक
स्थिति पर चिंतन करते समय इस खेल के वर्णन का क्या औचितत्य है ? "
- अज्ञात
- अज्ञात
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