Saturday, 12 December 2015

उमंगें फीकी फीकी सी

उमंगे फीकी फीकी सी
ग़ज़ल भी सीधी सादी सी

हसी होंटों प रूखी सी
नमी आँखों में हल्की सी

शफ़क़ का रंग हल्का सा
मगर है शाम काली सी

मेरा एहसास बोझिल है
हवा में भी है ख़ुनकी सी

मेरी आँखों में ग़ुस्सा है
तेरी सूरत है भोली सी

बचा लीजे ज़रा नज़रें
मेरी नीयत है बहकी सी

तेरा चेहरा मेरी आँखें
अदा दिलकश सी प्यारी सी

वो चेहरा भी तो साकित है
नज़र भी ठहरी ठहरी सी

करोगे सीमबर कबतक
ये बातें बहकी बहकी सी

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